Tuesday, May 4, 2010

यात्रा के दौरान

इस बार
पूरे सफर के दौरान
मैने एक भी कविता नहीं लिखी
एक मासूम ज़िद्दी बच्चे ने
छीन ली मुझसे
मेरी खिड़की वाली सीट
और फिर मैं
पूरे रास्ते देखता रहा
उसकी आँखों में
नदी, पुल, पहाड़
और
भागते हुए पेड़ों के प्रतिबिंब.

1 comment:

Dr. C S Changeriya said...

mujhe lagta he मासूम ज़िद्दी बच्चे ने nahi
kisi or ne (........) chin li