Friday, May 21, 2010

खोटा सिक्का

एक दिन मित्रों ने घोषित कर दिया
ईश्वर को खोटा सिक्का
दूसरे ही दिन
दुश्मनों ने
उसे बाजार में चला दिया
घूमता रहा सिक्का बाज़ार में
और फिर लौटा एक दिन
मित्रों के पास
बदरंग और घिसा-पिटा
एकदम खोटे सिक्के की तरह

2 comments:

दिलीप said...

waah kya shabd chune aur kya vichaar rakha...

Udan Tashtari said...

सटीक!!