Saturday, July 10, 2010

प्रेम - पाँच

रिश्तों की भीड़ से निकल कर
आया हूँ तेरे पास
अब न पीछे जाने का सवाल है
न आगे जाने की इच्छा
आओ
इन दोनों बिंदुओं के बीच
कहीं बैठ कर
प्यार करें.

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