Tuesday, July 20, 2010

सुख

बस उतनी देर ठहर पाते हैं
सुख अपने
छोटे-छोटे
किसी नन्हें-से
बच्चे के गालों पर
जितनी देर
ठहर पाते हैं
दो आँसू
मोटे-मोटे.

1 comment:

aarkay said...

"सुख है इक छाँव ढलती
आती है जाती है
दुःख तो अपना साथी है "

सुंदर कविता !