Thursday, April 15, 2010

बचपन : एक

जहाँ-जहाँ भी रहे
किराये के मकानों में
वहाँ-वहाँ छूटता गया
घर के कबाड़ के साथ-साथ
कुछ न कुछ महत्वपूर्ण
कुछ यादें, कुछ लोग
कुछ बचपन
सब पीछे छूट गया
अब तो सिर्फ
ज़रूरी सामान ही बचा है
घर के मकान में.

1 comment:

दिलीप said...

waah kya baat kahi sir...

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/