Wednesday, April 28, 2010

अस्पताल

परियों की तरह

हवा में उड़ रही हैं

परिचारिकाएँ

देवताओं की तरह

लग रहे हैं चिकित्सक

विज्ञान और प्रार्थना

स्वर्ग और नर्क

निश्चय और अनिश्चय के बीच

झूल रहा है

धरती का यह छोटा-सा टुकड़ा.

1 comment:

Unknown said...

sabhi rachnayen bahut acchi hain