Wednesday, April 28, 2010
Wednesday, April 21, 2010
सरकारी आदमी
गेहूँ के उस हरे-भरे खेत में
ऐसे खड़े हुए हैं
टेलीफोन के खम्भे
जैसे अभी से
आ धमके हों
कर्ज़ा वसूलने
सरकारी आदमी.
ऐसे खड़े हुए हैं
टेलीफोन के खम्भे
जैसे अभी से
आ धमके हों
कर्ज़ा वसूलने
सरकारी आदमी.
Sunday, April 18, 2010
Friday, April 16, 2010
Thursday, April 15, 2010
Wednesday, April 14, 2010
कविता
धूप की तरह आओ
मेरे घर में
पानी की तरह
चू जाओ कहीं से भी
हवा की तरह
दरवाज़ा खटखटा कर आओ
पीले पत्तों की तरह
भरा जाओ घर में
सपने की तरह चली आओ
दबे पाँव नींद में
दुःख की तरह आओ
कभी न जाने के लिए
या खुशी की तरह
धमक जाओ अचानक
दिन भर के काम से निबट कर
रात
जिस तरह आती है पत्नी
इस तरह आओ
जाग रहा हूँ मैं
तुम्हारी प्रतीक्षा में
चाहे जिस तरह आओ.
मेरे घर में
पानी की तरह
चू जाओ कहीं से भी
हवा की तरह
दरवाज़ा खटखटा कर आओ
पीले पत्तों की तरह
भरा जाओ घर में
सपने की तरह चली आओ
दबे पाँव नींद में
दुःख की तरह आओ
कभी न जाने के लिए
या खुशी की तरह
धमक जाओ अचानक
दिन भर के काम से निबट कर
रात
जिस तरह आती है पत्नी
इस तरह आओ
जाग रहा हूँ मैं
तुम्हारी प्रतीक्षा में
चाहे जिस तरह आओ.
Tuesday, April 13, 2010
नाखून : एक
कितने भी सलीके से काटे जायें
नाखून
खूबसूरत नहीं होते
खूबसूरत तो सिर्फ
चेहरे होते हैं
लहुलुहान होने से पहले
और कई अर्थों में
लहुलुहान होने के बाद भी.
नाखून
खूबसूरत नहीं होते
खूबसूरत तो सिर्फ
चेहरे होते हैं
लहुलुहान होने से पहले
और कई अर्थों में
लहुलुहान होने के बाद भी.
दंगे
घर के भीतर
मारा गया विश्वास
गली के मोड़ पर
मारी गई यारी
गाँव, कस्बे, शहर, महानगर
सब मारे गये
और इन सबके साथ
मारा गया मुल्क.
मारा गया विश्वास
गली के मोड़ पर
मारी गई यारी
गाँव, कस्बे, शहर, महानगर
सब मारे गये
और इन सबके साथ
मारा गया मुल्क.
Monday, April 12, 2010
दीवार
एक दिन वे आयेंगे
और लिख जायेंगे
तुम्हारी दीवार पर
तुम्हारे पड़ौसी की मौत का फरमान
दूसरे दिन वे आयेंगे
लिख जायेंगे
पड़ौसी की दीवार पर
तुम्हारी मौत का फरमान
तीसरे दिन
वे फिर आयेंगे
और लिख जायेंगे
शहर की तमाम दीवारों पर
ऐसे ही फरमान-
उन्हें सिर्फ तीन दिन चाहिए
इस दुनिया को
श्मशान में बदलने के लिए.
और लिख जायेंगे
तुम्हारी दीवार पर
तुम्हारे पड़ौसी की मौत का फरमान
दूसरे दिन वे आयेंगे
लिख जायेंगे
पड़ौसी की दीवार पर
तुम्हारी मौत का फरमान
तीसरे दिन
वे फिर आयेंगे
और लिख जायेंगे
शहर की तमाम दीवारों पर
ऐसे ही फरमान-
उन्हें सिर्फ तीन दिन चाहिए
इस दुनिया को
श्मशान में बदलने के लिए.
कौन जायेगा अगली शताब्दी में...?
सिर्फ प्रेमिकाएँ जायेंगी
अगली शताब्दी में
पत्नियाँ इसी तरफ
इंतज़ार करेंगी
हाथों में रंगीन गुब्बारे लिए
कवि जायेंगे
अगली शताब्दी में
बधाई गीत गाते हुए
कविता इसी तरफ
इंतज़ार करेगी
विज्ञान जायेगा
तकनीक जायेगी
बड़े-बड़े अधिकारी
और चिकित्सक जायेंगे
बुखार से तपते हुए मरीज़
इसी तरफ
इंतज़ार करेंगे
कौन जायेगा
अगली शताब्दी में
बेशर्म, गंदे, नीच
ठसक से भरे हुए
जवाब जायेंगे
अगली शताब्दी में
सवाल इसी तरफ
इंतज़ार करेंगे.
अगली शताब्दी में
पत्नियाँ इसी तरफ
इंतज़ार करेंगी
हाथों में रंगीन गुब्बारे लिए
कवि जायेंगे
अगली शताब्दी में
बधाई गीत गाते हुए
कविता इसी तरफ
इंतज़ार करेगी
विज्ञान जायेगा
तकनीक जायेगी
बड़े-बड़े अधिकारी
और चिकित्सक जायेंगे
बुखार से तपते हुए मरीज़
इसी तरफ
इंतज़ार करेंगे
कौन जायेगा
अगली शताब्दी में
बेशर्म, गंदे, नीच
ठसक से भरे हुए
जवाब जायेंगे
अगली शताब्दी में
सवाल इसी तरफ
इंतज़ार करेंगे.
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