Thursday, March 25, 2010

रोशनी

इस रोशनी में
थोड़ा सा हिस्सा उसका भी है
जिसने चाक पर गीली मिट्टी रख कर
आकार दिया है इस दीपक का
इस रोशनी में थोड़ा सा हिस्सा उसका भी है
जिसने उगाया है कपास
तुम्हारी बाती के लिए
थोड़ा सा हिस्सा उसका भी
जिसके पसीने से बना है तेल
इस रोशनी में
थोड़ा सा हिस्सा
उस अँधेरे का भी है
जो दिये के नीचे
पसरा है चुपचाप

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