Thursday, March 25, 2010

जुलूस

कई बरस बाद सड़क पर देखा
इतना बड़ा जुलूस
वरना इन दिनों तो
परिदृश्य से बाहर हैं
ऐसे दृश्य
जीन्स-टी शर्ट पहने लड़के-लड़कियाँ
हाथों में पोस्टर
अँग्रेज़ी में लिखे हुए नारे
हँसते, मुस्कराते, बतियाते
पहली बार निकले हैं
इस तरह सड़कों पर
नथुनों से टकराती है
परफ्यूम और डिओडरेन्टस की गंध
कितना खुशबूदार जुलूस है यह
रंग खुशबू और जवानी
मैं देखता हूँ इस जुलूस को
बेहद करीब से
सोचता हूँ शामिल हो जाऊँ इसमें
फिर सोचता हूँ नहीं
अपने पसीने की गंध से
पहचान लिया जाऊँगा
जुलूस नहीं है यह
यह तो
किसी औद्योगिक घराने की बारात है.

1 comment:

shashank mehta said...

its a great plesure to read ur potery.i feel very happy to knoe abt ur feeling about normal person who plased among us.thanks for this great achivment.