Sunday, March 21, 2010

सखेद

सखेद
लौट आई कविता
कवि ने नहीं देखी दिल्ली
वह दिल्ली घूम आई
यात्रा की थकान थी उसके चेहरे पर
और धूप ने उसका रंग
थोड़ा और साँवला कर दिया था
नींद से बोझिल पलकों से
उसने मुझे देखा
वह मुझे और भी ख़ूबसूरत लगी.

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