Sunday, March 21, 2010

यात्रा के दौरान

जंज़ीरों से बंधे हैं
सूटकेस
सिरहाने रखे हुए हैं
जूते
बर्थ से चिपके हुए हैं
जिस्म
संशय और अविश्वास के अंधेरे में
झपक रही है
नींद
ट्रेन चल रही है.

No comments: